कोविड-19 के संक्रमण के कारण सम्पूर्ण विश्व लगभग थम सा गया है। कोविड-19 वायरस का संचरण चीन के वुहान नगर से प्रारम्भ होकर लगभग
सम्पूर्ण विश्व में फैल गया। विश्व में फैलने के कारण 11 मार्च, 2020 को डब्लू0एच0ओ0 ने इसे महामारी घोषित कर दिया। डब्लू0एच0ओ0 के अनुसार, कोविड-19 विश्व के 204 देशों में फैल चुका है। कोविड-19 वायरस में संक्रमण की दर अधिक होने के कारण विश्व के 31,68,922 लोग संक्रमित हो गये हैं और 2,27,940 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। कोविड-19 की दवा अभी तक कोई भी देश नहीं बना पाया है। कोविड-19 के संक्रमण की दर को कम व समाप्त करने का एक
मात्र उपाय सामाजिक एवं
शारीरिक दूरी है। इसलिए विश्व के सभी देशों नें अपने-अपने राज्यों एवं नगरों में लॉकडाउन लगा
दिया।
लॉकडाउन का
सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला,
जिसके परिणास्वरूप कोविड-19
के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा
रही है। लॉकडाउन के
कारण अधिकांश औद्योगिक गतिविधियां,
कार्यालय एवं
व्यवसाय आदि सब बन्द हो गये। जिसके परिणाम स्वरूप विश्व के सामनें आर्थिक संकट से
निपटनें की चुनौतियां सामने आ गयी। लॉकडाउन के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को सबसे
ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। फिंच ने अपनी नवीन रिपोर्ट में भारत की विकास दर 0.8
फसदी बताया,
वहीं मूडीज के अनुसार भारत की विकास दर 0.2
फीसदी रहने का अनुमान है,
यदि भारत में लॉकडाउन अधिक समय तक जारी रहता है तो यहां आर्थिक परिणाम विश्व बैंक के
अनुसार से अधिक बुरे हो सकते हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए भारत को सबसे पहले कोविड-19
महामारी को फैलने से रोकना होगा। भारत सरकार को
आर्थिक संकट से निपटनें
के लिए,
प्रतिभाशाली
अर्थशास्त्रीयों एवं पेशेवर व्यक्तियों की एक समिति का गठन करें,
जिससे भारत आर्थिक मंदी एवं बेरोजगारी से निपट सके।
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कोविड-19 महामारी और अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन का प्रभाव